23 अप्रैल 2011
डकार (सेनेगल)। भारत ने अफ्रीका में 'इकोनॉमिक्स कम्युनिटी ऑफ वेस्ट अफ्रीकन स्टेट्स' (इकोवास) के जरिए वहां के व्यापारियों को सस्ते ऋण उपलब्ध कराए हैं। यह जानकारी 15 सदस्यीय इस क्षेत्रीय समूह के एक शीर्ष अधिकारी ने दी है। यह समूह दवा, प्रौद्योगिकी और कृषि क्षेत्र में संयुक्त निवेश का इच्छुक है।
इकोवास के निदेशक अल्फ्रेड ब्रैमाह ने बताया कि भारत सरकार और इकोवास के बीच 2008 में हुए एक आपसी समझौते (एमओयू) के बाद भारतीय व्यापारियों का इस क्षेत्र में निवेश बढ़ा है।
ब्रैमाह ने कहा, "आपसी समझौते के बाद भारत की कई व्यापारिक संस्थाएं विभिन्न पश्चिम अफ्रीकी देशों में व्यापार स्थापित करने के लिए आई हैं।"
ब्रैमाह पश्चिम अफ्रीका में गरीबी उन्मूलन की एक रणनीति के क्रियान्वयन के लिए एक पहल की औपचारिक शुरुआत के अवसर पर बोल रहे थे।
इकोवास 15 देशों का एक क्षेत्रीय समूह है, जिसकी स्थापना वर्ष 1975 में हुई थी। इसका मकसद आर्थिक गतिविधि के सभी क्षेत्र में, खासतौर से उद्योग, परिवहन, दूरसंचार, ऊर्जा, कृषि, प्राकृतिक संसाधन, वाणिज्य, मौद्रिक एवं वित्तीय प्रश्नों, सामाजिक एवं सांस्कृतिक मामलों में आर्थिक एकता को बढ़ावा देना है।
ब्रैमाह यह नहीं बता पाए कि कितने व्यापारिक प्रतिष्ठान स्थापित किए गए हैं, क्योंकि व्यापारिक परियोजनाओं को अंतिम रूप से शुरू होने में समय लगता है। उन्होंने कहा कि इकोवास सहयोग के मुख्य क्षेत्रों की पहचान करने की स्थिति में आने के लिए एक अंतरदेशीय मुहिम में लगा हुआ है।
उन्होंने कहा, "हम हालांकि दवा, प्रौद्योगिकी और कृषि में संयुक्त व्यापारिक निवेश में अधिक सहयोग चाहते हैं। ये ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत की बड़ी उपलब्धि है।"
ब्रैमाह ने कहा कि क्षेत्र को भारतीय व्यापार के हवाले करने के संदर्भ में नाइजीरिया के लागोस में पिछले वर्ष फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) के साथ संयुक्त रूप से एक फोरम आयोजित किया गया था।
उन्होंने कहा, "चैम्बर ने अपने देश की कम्पनियों और इकोवास के बीच गतिविधियों के समन्वयन की भूमिका स्वीकार की है।"
ब्रैमाह ने आगे कहा, "इकोवास में हमने इस फोरम के बाद उन पहलों को मजबूती प्रदान करने के लिए भारत का दौरा किया, जिन्हें हमने क्षेत्र के देशों और भारत के बीच मजबूत आर्थिक रिश्ता विकसित करने के लिए शुरू किया था।"
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